Tuesday, March 26, 2019

知识产权保护:一家中国公司的觉醒

没有破门而入的迹象,没有人被绑架。没有玻璃被打碎。但这家位于上海郊区的工厂却因为知识产权盗窃遭受损失。

“几年前,我的一位IT经理复制了我公司1万页的资料,”刘方毅(Frank Liu)告诉我。他的公司英科国际(Intco)有25年历史。

他告诉我,被盗的内容包括“我们的技术信息、客户名单、采购和供应信息。所有的一切。”

英科国际是一家生产医疗设备、环保装饰建材和其它室内外装饰材料的公司。我参观了它在上海一个商业园区的办公室,以及坐落在这座城市南部一条林荫大道两侧的一家工厂。

该公司回收世界各地运往中国的聚苯乙烯废料。然后,利用热模塑和印模技术,将其转化为一系列环保产品,包括地板和相框,销往巴西或俄罗斯及英美国家。

刘方毅告诉我,“我们实际上有他盗窃的证据,” 他刚把它卖掉,(赚钱)成立了另一家公司。

他觉得自己已经失去了追索权。他报了警,但没看到任何进展。但他仍打算继续维权。

他的故事在中国越来越常见,本地企业和外国公司都遭遇了类似的问题。

美国和中国的高层官员将于本周举行下一轮贸易谈判,保护知识产权是美国政府的一项关键诉求。美方认为,在中国的美国和其他外国公司遭遇了数十年的盗窃和侵权。

中国已经采取一些措施来解决这个问题。中国在上世纪80年代才制订知识产权法律,自那以后,事情进展相对较快。

中国现在有专门的知识产权法庭,但服从于共产党的领导,要在12到18个月内结案。

知识产权法庭的创立并不仅仅是因为外国公司的外部压力。

像刘方毅这样的中国商界人士也呼吁,中国的法律体系应更好地保护创新者和企业家。他们正致力于让中国摆脱“山寨王国”的标签。

美国律所Loeb & Loeb的知识产权律师裘伯纯(Benjamin Qiu)告诉我,中国(公司)现在和外国公司一样喜欢打官司。

裘伯纯补充称,外国公司与中国国内的原告一样,都有可能打赢一场官司。过去几年,乐高和新百伦都在一些引人关注的知识产权案中获胜。

中国最近在北京召开的人大年度会议上通过《外商投资法》。该法规定,外国投资者向任何中国国内合作伙伴转让技术必须自愿。 此前中国要求外商必须向中国的合作方转让技术,并一直为这种极具争议的做法辩护,并坚称这是双方达成的商业协议的一部分。

新法律还禁止政府官员透露外国投资者知识产权的细节。

新时代?
然而,现在最难的部分来了:强制执行。

裘伯纯告诉我,下一步是“为这部法律制订详尽细则,我们希望看到地方法院和执法机构的实际案例。”

如果是这样,他认为“外国知识产权所有者在中国可能会有更多的保护。”

欧盟和美国商会都对这项新法律表示欢迎,但同时也批评了该法律的模糊性。美国人还担心,该法案在没有经过适当磋商的情况下就被仓促通过。

多年来,许多外国公司因中国知识产权保护乏力受到了冲击。大多数人发现,庞大市场的吸引力,以及一度处于谷底的劳动力成本是无法抗拒的。

但有些人认为风险太高。

一位水果业高管最近告诉我,他的公司想为他们在中国的农场采购新的传送带,但欧洲制造商拒绝了。欧洲公司担心他们的系统会遭到复制,然后自己就被踢除中国市场。

刘方毅不想那样做。他是中国人,想留在中国发展。但他已采取措施,试图防止另一起知识产权盗窃案的发生。

他是自己公司的首席执行官,但今年他告诉我,他将把自己的头衔改为研发主管。因为他不能把公司的商业秘密托付给任何人。

Wednesday, March 20, 2019

बॉर्डर पर इंडियन आर्मी को मिले 2 नए हथियार, PAK पर प्रहार तेज

भारत की एयरस्ट्राइक के बाद से ही पाकिस्तान पूरी तरह बौखला गया है. पाकिस्तान लाइन ऑफ कंट्रोल पर लगातार सीज़फायर का उल्लंघन कर रहा है तो अब हमारे जवान भी उसे मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं. भारतीय जवानों को दो नए हथियार मिले हैं, जिसके कारण पाकिस्तान को चुन-चुनकर जवाब दिया जा रहा है.

जम्मू डिविज़न के सेक्टर में भारतीय सेना नई स्नाइपर रायफल्स से पाकिस्तानी सेना को जवाब दे रही है. बताया जा रहा है कि भारत की इस जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान में भारी नुकसान हुआ है.

चूंकि पाकिस्तान लगातार सीज़फायर तोड़े जा रहा है इसी वजह से भारत ने भी उसे उसकी ही भाषा में समझाने की ठान ली है. इस बार जिन दो नई स्नाइपर का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसमें Lapua Magnum और Beretta शामिल हैं. ये दोनों रायफल अलग-अलग कैलिबर की हैं, यही कारण है कि भारतीय जवानों को पाकिस्तानी किले को भेदने में मदद मिल रही है.

Lapua Magnum स्नाइपर को एक फिनलैंड की कंपनी बनाती है, इसका इस्तेमाल अफगानिस्तान और इराक की लड़ाई में अमेरिका के द्वारा किया जा चुका है. दुश्मन के किले को भेदने के लिए इस हथियार को सबसे कारगर माना जाता है.

वहीं अगर Beretta की बात करें तो ये एक मशहूर हथियार बनाने वाली कंपनी है. इस इटालियन कंपनी के हथियारों की दुनिया भर में चर्चा है और Beretta इसकी मुख्य रायफलों में से एक है. ये कंपनी कई तरह की मैग्ज़ीन भी बनाती है.

बता दें कि एयरस्ट्राइक होने के बाद से ही पाकिस्तान बॉर्डर पर सीजफायर का उल्लंघन कर रहा है. अभी इसी सोमवार को पाकिस्तान सुंदरबनी सेक्टर में गोलीबारी की थी, जिसमें भारत का एक जवान शहीद हो गया था. हालांकि, हर बार पाकिस्तान को बॉर्डर पर मुंहतोड़ जवाब दिया जाता है.

ब्रायन ऐक्टन आज तक टेक से कहा है, ‘अब फेसबुक प्रोडक्ट एक्सपीरिएंस को मर्ज (मिलाने) की कोशिश कर रही है. यह काफी मुश्किल काम है और इसका सफल होना भी आसान नहीं है’

ब्रायन पहले से ही वॉट्सऐप को पेड बनाना चाहते थे, ताकि यूजर्स के डेटा के साथ समझौता न करना पड़े. लेकिन फेसबुक की वजह से ऐसा नहीं हो पाया. फेसबुक और वॉट्सऐप के दोनों फाउंडर्स के बीच अनबन होती रही, क्योंकि फेसबुक ने अधिग्रहण के समय कहा था कि वॉट्सऐप को सेपरेट रखा जाएगा. लेकिन बाद में वॉट्सऐप के फाउंडर्स को लगा कि फेसबुक वॉट्सऐप के काम काज में इंटरफेयर कर रहा है.

गौरतलब है कि ब्रायन ऐक्टन और जेन कुम Yahoo में काम करते थे. उन्होंने 2007 में याहू छोड़ दिया और कुछ समय के लिए काम से ब्रेक लिया. कुछ समय बाद इन दोनों ने फेसबुक में जॉब के लिए आवेदन किया, लेकिन उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया. 2009 में इन दोनों ने मिल कर वॉट्सऐप बनाया और 2014 में फेसबुक ने ही वॉट्सऐप को 19 बिलियन डॉलर (लगभग 13 खरब रुपये) में खरीद लिया.

Friday, March 8, 2019

देश की इकलौती महिला कमांडो ट्रेनर, जो आधे सेकंड में शूट करने की ट्रेनिंग देती हैं

मुंबई. डॉ. सीमा राव देश की पहली और इकलौती महिला कमांडो ट्रेनर हैं। इन्हें भारत की ‘सुपर वुमेन’ भी कहा जाता है। 49 साल की सीमा 20 साल से बिना सरकारी मदद के मुफ्त में आर्मी, एयरफोर्स और नेवी समेत पैरामिलिट्री फोर्स के कमांडो को ट्रेनिंग दे रही हैं। उनका नाम उन पांच चुनिंदा महिलाओं में आता है, जिन्हें 'जीत कुन डो' मार्शल आर्ट आता है। इसे ब्रूस ली ने ईजाद किया था।

डॉ. राव सशस्त्रबलों के जवानों को रिफ्लेक्स फायर यानी आधे सेकंड में किसी को शूट कर देने की ट्रेनिंग देने के लिए भी जानी जाती हैं। महिला दिवस पर भास्कर प्लस एप ने उनसे बातचीत की और उनकी कहानी के बारे में जाना।

भास्कर के सवालों पर डॉ. सीमा राव के जवाब
सुरक्षाबल पहले से एक स्तर तक प्रशिक्षित होते हैं। ऐसे में उनके जवानों को कमांडो ट्रेनिंग देने का विचार कैसे आया? उन्हें कैसे अप्रोच किया?

मैं बचपन में बहुत कमजोर थी। इसी कमजोरी को दूर करने के लिए मैंने मार्शल आर्ट्स सीखा और अनआर्म्ड कॉम्बैट में ब्लैक बेल्ट हासिल किया। उसके बाद मेरी शादी मेजर दीपक राव से हुई। एक दिन हम मॉर्निंग वॉक पर गए तो देखा कि जवान अनआर्म्ड कॉम्बैट की ट्रेनिंग ले रहे हैं। हमने जब पूछा तो पता चला कि ये आर्मी का ट्रेनिंग स्कूल है। फिर हमने वहां के कमांडेंट ऑफिसर से मिलकर एक वर्कशॉप की योजना बनाई। इस वर्कशॉप के बाद कमांडेंट ने हमें अच्छे रिव्यू दिए और इसी रिव्यू के आधार पर हम मुंबई पुलिस कमिश्नर आरडी त्यागी से मिले। जब त्यागी एनएसजी के महानिदेशक बने तो उन्होंने हमें अनआर्म्ड कॉम्बैट ट्रेनिंग देने के लिए इनवाइट किया। उसके बाद हम आर्मी चीफ से मिले और बताया कि हम आर्मी को भी ऐसी ट्रेनिंग देना चाहते हैं। उन्होंने पैरासेंटर बेंगलुरु में कॉम्बैट ट्रेनिंग के लिए आर्मी का पहला कोर्स शुरू करवाया। धीरे-धीरे आर्मी की अलग-अलग यूनिट्स हमें ट्रेनिंग देने के लिए बुलाने लगीं। इसके बाद मैंने शूटिंग सीखी। मैंने आर्मी की अलग-अलग यूनिट्स में भी इसके डैमाे दिए। इस तरह मैं नेवी, आर्मी, एयरफोर्स, पुलिस फोर्स और पैरामिलिट्री फोर्स को ट्रेनिंग देने लगी।

आप किस तरह की ट्रेनिंग देती हैं?
मेरा ट्रेनिंग सब्जेक्ट है क्लोज क्वार्टर बैटल (सीक्यूबी)। सीक्यूबी यानी दुश्मन के साथ 30 मीटर के अंदर लड़ाई करना। इसे हम दो तरह की स्थिति में देखते हैं।

पहला- कमांडो सिचुएशन, जहां हम दुश्मन की धरती पर जाकर कमांडो ऑपरेशन करते हैं। दुश्मन के इलाके में जाकर और उससे लड़कर जब कमांडो वापस आता है तो उसे क्लोज क्वार्टर बैटल कहते हैं। सीक्यूबी में विस्फोटक इस्तेमाल करना और रूम के अंदर फायरिंग करना भी सिखाया जाता है।

दूसरा- काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन। इसमें हमारे कमांडो आतंकी से 30 मीटर की दूरी से लड़ाई करते हैं। सीक्यूबी का काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन और कमांडो मिशन में फायदा होता है। इस ट्रेनिंग में अलग-अलग सब्जेक्ट होते हैं।

अनआर्म्ड कॉम्बैट : इसमें बिना हथियार के दुश्मन से लड़ाई करना सिखाया जाता है।

रिफ्लेक्स शूटिंग : जब दुश्मन 30 मीटर के अंदर है तो हमें उसकी गोली लगने से पहले उसे हमारी गोली लगनी चाहिए।

ग्रुप शूटिंग : इसमें हम बताते हैं कि एक टीम या ग्रुप कैसे दुश्मन पर गोली चला सकते हैं। इसमें सिखाया जाता है कि कैसे एक टीम मिलकर दुश्मन को गोली मारे।

हमने आर्मी, आर्मी की स्पेशल फोर्सेस, कमांडो विंग, एनएसजी, मरीन कमांडो, एयरफोर्स के गरुड़ कमांडो, पैरामिलिट्री फोर्स जैसे- बीएसएफ, आईटीबीपी को ट्रेन किया है। 1997 से लेकर अभी तक हमने अलग-अलग प्रकार की फोर्सेस को ट्रेन किया है। साथ ही हमने 12 राज्यों की पुलिस को भी प्रशिक्षण दिया है।

आपने ट्रेनिंग का एक नया तरीका ‘राव सिस्टम ऑफ रिफ्लेक्स फायर’ खोजा है, यह क्या है?

यह एक अलग तरीके से शूट करने की तकनीक है। जब दुश्मन 30 मीटर के अंदर होता है, तब आप राइफल लेकर बराबर निशाना लगाकर शूट नहीं कर सकते, क्योंकि इसमें 1-2 सेकंड का समय लगता है। जब दुश्मन पास होता है तो हमारे पास 2 सेकंड नहीं होते। इसलिए हमें आधे सेकंड के अंदर शूटिंग करनी होती है। यह एक ऐसी तकनीक है जब दुश्मन 30 मीटर के अंदर हो तो राइफल के फोरसाइट से निशाना लगाकर दुश्मन को शूट किया जाता है और इससे सिर्फ आधे सेकंड या उससे भी कम वक्त में टारगेट को हिट किया जा सकता है।

आपने ब्रूस ली का खास मार्शल आर्ट जीत कुन डो सीखा है। यह क्या होता है? और बाकी मार्शल आर्ट्स से यह कितना अलग है?

1970 में ब्रूस ली की जब 'इंटर द ड्रैगन' रिलीज हुई तो पूरी दुनिया ब्रूस ली के मार्शल आर्ट्स 'जीत कुन डो' से इम्प्रेस हो गई। लेकिन उस जमाने में सिर्फ कराटे ही था तो लोगों को लगा कि यही ब्रूस ली का मार्शल आर्ट है। लेकिन कराटे और जीत कुन डो पूरी तरह से अलग हैं। जीत कुन डो में किक, पंच, कोहनी और घुटनों का इस्तेमाल होता है। इसमें कुश्ती भी होती है और दुश्मन को जमीन पर लिटाकर हिट करना होता है। कुल मिलाकर, ब्रूस ली के जीत कुन डो में किकिंग, पंचिंग, कुश्ती और मैट फाइटिंग भी है। इसलिए ये बाकी मार्शल आर्ट से अलग है। जैसे- ताइक्वांडो में सिर्फ किकिंग है, बॉक्सिंग में पंचिंग है, ग्रेको रैमन रेसलिंग में कुश्ती है, लेकिन ब्रूस ली के जीत कुन डो में सभी का मिश्रण है। आजकल मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स होता है, वह भी ब्रूस ली के मार्शल आर्ट से ही प्रेरित है। इसलिए ब्रूस ली को फादर ऑफ मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स कहा जाता है। ब्रूस ली अपने निधन से पहले पांच लोगों को यह आर्ट सिखाकर गए थे। मैंने ब्रूस ली के स्टूडेंट रहे ग्रैंड मास्टर रिचर्ड बूफ्तिलो से जीत कुन डो सीखा है। दुनियाभर की सिर्फ पांच महिलाओं के पास ही जीत कुन डो सीखने का इंस्ट्रक्टर सर्टिफिकेशन है। इनमें से एक मैं हूं।

अब तक के सफर में जवानों को ट्रेनिंग देते हुए आपकी लर्निंग क्या रही?
पहली और सबसे बड़ी लर्निंग है अनुशासन। अनुशासन के बिना कोई भी जंग जीती नहीं जा सकती। दूसरी लर्निंग- रणनीति। सही रणनीति का इस्तेमाल कर एक हारी हुई जंग को जीत में बदला जा सकता है। तीसरा- साहस। जब हार का सामना करना पड़े तो साहस ही एक ऐसी चीज है, जिसके सहारे आगे बढ़ा जा सकता है।

कौन-सी ऐसी बातें हैं जो किसी व्यक्ति की हार-जीत तय करती हैं?
पहली : कोई भी महिला, पुरुष के बराबर ही होती है। वह हर वह काम कर सकती है जो एक पुरुष कर सकता है।

दूसरी : जब किसी चीज में हार का सामना करना पड़े तो निश्चय बनाए रखिए और प्रयास करते रहिए। 
तीसरी : हिम्मतवाले की ही जीत होती है।

चौथी : अपने लिए ऊंचे लक्ष्य तय कीजिए और अपनी योग्यता की दिशा में आगे बढ़िए।
पांचवीं : एक अलग सोच बनाइए और परंपरा से हटकर सोचना सीखिए।

पुलवामा हमले के बाद देश में हर कोई अपनी तरह से सेना की मदद करना चाहता है। आपने भी सशस्त्र बलों की अपने तरीके से मदद की है। ऐसे में आम नागरिक किस तरह मदद कर सकते हैं?

आम आदमी के लिए जरूरी है कि वे अफवाहों पर भरोसा न करें, वे सशस्त्र बलों पर भरोसा करें। आप अपने बच्चों को सुरक्षाबल ज्वाइन करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इसका सबसे अच्छा तरीका एनसीसी है। इसके जरिए काफी सारे सुरक्षाबलों में शामिल होने के अवसर रहते हैं। हम अपने बच्चों या स्टूडेंट्स को एनसीसी में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

एक महिला होकर पुरुषों को ट्रेनिंग देने का ख्याल कैसे आया?
हमें फोर्सेस को ट्रेन करना था और 1996-97 में कमांडो यूनिट्स और इन्फेन्ट्री यूनिट्स में सिर्फ पुरुष ही थे। हालांकि, आज कई फोर्सेस में महिलाएं हैं।