Tuesday, April 23, 2019

लोकसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में चेक करें अपना नाम, ये है तरीका

नई दिल्ली. चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है और 11 अप्रैल से वोटिंग प्रक्रिया शुरू भी हो गई है। अगर आप 18 साल या 18 साल से ऊपर की आयु के हैं तो आप मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। लेकिन क्या आपने वोटर लिस्ट में अपना नाम चेक किया है। नहीं...तो आप आसानी से कर सकते हैं। राष्ट्रीय मतदाता सेवा की ऑफिशियल वेबसाइट पर लॉग इन करके और कुछ आसान स्टेप्स को फॉलो करने के बाद आप अपना नाम आसानी से वोटर लिस्ट में देख सकते हैं। आपका वोट आपका हक है और इस एक वोट का इस्तेमाल कर आप आने वाले 5 सालों के लिए बेहतरीन सरकार चुन सकते हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि वोटिंग से पहले अपना नाम वोटिंग लिस्ट में ज़रूर देख लें। ताकि ये हक आपसे छिन न जाएं। आप नीचे दिए कुछ स्टेप्स फॉलो कर अपना नाम वोटर लिस्ट में चेक कर सकते हैं।

कैसे करें वोट, गूगल डूडल से जानें, डूडल बनाकर मतदाताओं को किया गया है जागरूक

इन स्टेप्स से करें चेक
1.वोटर लिस्ट में अपना नाम चेक करने के लिए सबसे पहले चुनाव आयोग के नेशनल वोटर सर्विस पोर्टल https://www.nvsp.in/ पर लॉग इन करना होगा। यहां आप दो तरीकों के ज़रिए अपना नाम चेक कर सकेंगे। आप यहां मैन्युअली अपनी सभी जानकारी डालकर या फिर EPIC नंबर डालकर अपना नाम आसानी से चेक कर सकते हैं। EPIC नंबर आपको वोटर आईडी कार्ड पर मिल जाएगा।

2.EPIC नंबर है तो आपको NVSP इलेक्ट्रोल पेज पर लॉग इन करने के बाद यहां अपना EPIC नंबर डालना होगा। राज्य का चयन करने और कैपचा में नजर आ रहे कोड को भरने के बाद सर्च के ऑप्शन को चुनें। आपका नाम वोटर लिस्ट में होगा तो आपको नज़र आ जाएगा। लेकिन अगर सर्च करने के बाद आपका नाम नहीं आता है तो इसका मतलब ये होगा कि आपका नाम वोटर लिस्ट में है ही नहीं।

3. वहीं एक तरीका मैन्यूअली भी है जिसमें अगर आपके पास EPIC नंबर नहीं है, तो आपको NVSP पर लॉग इन करने के बाद मांगी गई सभी जानकारी भरनी होगी। जब आप सर्च के ऑप्शन को क्लिक करेंगे तो आपका नाम अगर वोटर लिस्ट में होगा तो आ जाएगा।

नाम न होने पर कहां करें शिकायत
वही अगर आप 18 साल से ऊपर हैं, आपके पास वोटर आईडी कार्ड भी है और इसके बावजूद भी आपका नाम वोटर लिस्ट में नहीं है तो आप अपने निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव संबंधी अधिकारी से संपर्क करें और शिकायत दर्ज कराएं।

वोटर लिस्ट में नाम होना है ज़रूरी

वोटर लिस्ट में नाम होने पर ही आप वोट दे सकेंगे लिहाज़ा ज़रूरी है कि आपका नाम वोटर लिस्ट में ज़रूर हो। अपना नाम ऊपर दी गई प्रक्रिया के ज़रिए आसानी से चेक किया जा सकता है।

गुजरात : भाजपा 19 सीटों पर सुरक्षित, असल चुनाव 7 सीटों पर

गुजरात में आज चुनाव है। नेताओं को जो कहना था, बताना था, समझाना था, वह सब कर चुके। आज जनता बताएगी कि उसने किसे-कितना सुना और किस पर उसे यकीन हुआ। तमाम सर्वे, दावों के बावजूद भाजपा गुजरात को लेकर परेशान नहीं है। गुजरात में भाजपा की मजबूती का अंदाजा 2014 के नतीजों से लगा सकते हैं। तब सूरत, वडोदरा और नवसारी सीटें उसने पांच लाख के अंतर से जीती थीं। जबकि गांधीनगर सीट पर जीत का अंतर चार लाख रहा था। दो सीटों पर जीत का मार्जिन तीन लाख और 10 सीटों पर अंतर दो लाख  से ज्यादा वोटों का था। वहीं सात सीटें ऐसी भी थीं जहां करीब एक लाख वोटों का अंतर था। देखा जाए तो भाजपा 19 सीटों पर सुरक्षित दिखती है। असल चुनाव तो इन सात सीटों पर होना है, जहां बहुत ही मामूली अंतर से जीत-हार का फैसला होगा।

दूसरी ओर 2017 के विधानसभा चुनाव से तुलना करें तो 26 में से 7 सीटें ऐसी थीं जहां कांग्रेस को  भाजपा से 14 हजार से लेकर 1.68 लाख वोट ज्यादा मिले। ये सीटें थीं बनासकांठा, पाटण, मेहसाणा, साबरकांठा, सुरेंद्रनगर, जूनागढ़ और अमरेली। कांग्रेस अपने लिए सबसे ज्यादा मौके भी इन्हीं सीटों पर देख रही थी। इस बात का भाजपा को भी अंदाजा था। भाजपा को पता था कि मोदी ही वो फैक्टर हैं जो हर एंटी इन्कमबेंसी और बगावत को शांत कर सकते हैं।

यही वजह है कि मोदी ने गुजरात में जो 7 रैलियां की, उनमें से 4 रैलियां इन्हीं सीटों पर हुई हैं। नतीजा-जो माहौल इन सीटों पर कुछ दिनों पहले एकतरफा दिख रहा था, वहां भाजपा ने न सिर्फ वापसी की है, बल्कि वह बढ़त भी बनाती दिखने लगी है। भाजपा गुजरात में मोदी वर्सेस गुजरात विरोधी, देश विरोधी का फैक्टर साबित करने में सफल रही। वहीं राहुल गांधी गुजरात को लेकर अनमने से नजर आए। 2014 में राहुल और सोनिया ने मोदी लहर के बावजूद गुजरात में 11 रैलियां की, इस बार सिर्फ राहुल आए और 5 रैलियां कर गए। प्रचार का पूरा जिम्मा हार्दिक पटेल, अहमद पटेल और स्थानीय नेताओं पर छोड़ दिया। इतना ही नहीं, प्रियंका गांधी को भी गुजरात से दूर रखा गया।

शहरों में वोटिंग ज्यादा तो भाजपा को फायदा, गांवों में कांग्रेस को : गुजरात में मौसम विभाग ने वोटिंग के दिन हिट वेव की आशंका जताई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों की कोशिश है कि शुरुआती 4 घंटों में ज्यादा वोटिंग हो। भाजपा शहरों में ज्यादा और गांवों में कम वोटिंग में फायदा देख रही है। इसके उलट कांग्रेस की कोशिश गांवों में ज्यादा वोटिंग की है। गुजरात में 43% वोटर शहरों में, 57% वोटर गांवों में हैं। 2014 में 60% वोटिंग हुई थी। हालांकि वो एक लहर थी। लेकिन 2009 में 47.9% वोटिंग हुई थी। इनमें गांवों की भूमिका बड़ी थी। भाजपा को 15, कांग्रेस को 11 सीटें मिली थीं।

आखिरी दिन का माहौल|उत्तर-दक्षिण और मध्य में भाजपा की वापसी, कांग्रेस सौराष्ट्र के सहारे

मध्य गुजरात (9 सीटें)

भाजपा सिर्फ आणंद में नर्वस है। अहमदाबाद की पूर्व-पश्चिम सीटों पर जीत का अंतर घट सकता है। गांधीनगर में अंतर बढ़ सकता है। हार्दिक को चांटा लोगों को प्रायोजित लग रहा है। भरुच में त्रिकोणीय लड़ाई का फायदा भाजपा को है। कांग्रेस से मुस्लिम उम्मीदवार होने से ध्रुवीकरण होगा।
दक्षिण गुजरात (5 सीटें)

सूरत, नवसारी, वलसाड में भाजपा मजबूत है। सूरत में दर्शना जरदोश के खिलाफ नाराजगी है, लेकिन मोदी से फायदा है। वलसाड में कांग्रेस ने जोर लगा रखा है, ये वोटों में कितना तब्दील होता है ये नतीजे आने पर पता चलेगा। जीएसटी, नोटबंदी का मुद्दा गायब है। राष्ट्रवाद की चर्चा है।
उत्तर गुजरात (5 सीटें)

भाजपा पाटण में कमजोर है। लेकिन मोदी की रैली असर दिखा सकती है। अल्पेश के इस्तीफे ने कांग्रेस को कमजोर कर दिया है। मेहसाणा, साबरकांठा, बनासकांठा में मार्जिन का गेम है। सीटें किसी भी तरफ झुक सकती हैं। बनासकांठा में डेयरी वालों का फरमान भाजपा पर असर डालेगा।
सौराष्ट्र-कच्छ (7 सीटें)

अमरेली से कांग्रेस प्रत्याशी परेश धानाणी की पटेल स्टेच्यू पर टिप्पणी को मोदी ने मुद्दा बनाया है। इसका असर हो सकता है। राजकोट, जामनगर, कच्छ और भावनगर सीट भाजपा निकालेगी। पोरबंदर में कांटे की टक्कर है। जूनागढ़ का हाल भी अमरेली जैसा है। यहां मामूली अंतर से फैसला होगा।

ओवरऑल : 26 सीटों पर नजर डालें तो भाजपा 22 या 23 सीटों पर जीत सकती  है। जबकि कांग्रेस 3 या 4 सीटों पर। इनमें अधिकांश का फैसला बहुत मामूली अंतर से होने वाला है। बहरहाल, वोटरों के दिल में क्या है, ये तो नतीजे ही बताएंगे।

Wednesday, April 10, 2019

बीबीसी के नाम पर वायरल चुनाव सर्वेक्षण - क्या है सच?

बीते कुछ दिनों से ट्विटर से लेकर फेसबुक और वॉट्सऐप पर कई समूहों में एक फ़ेक न्यूज़ वायरल हो रही है.

इस फ़ेक न्यूज़ में दावा किया गया है कि बीबीसी, सीआईए और आईएसआई के सर्वे के मुताबिक़ लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी की जीत मिलने जा रही है.

लेकिन ये पहला मौका नहीं है जब बीबीसी के नाम पर इस तरह की फ़ेक न्यूज़ वायरल हो रही हो.

इससे पहले विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान भी ऐसी झूठी ख़बरें प्रसारित हो चुकी है.

लेकिन बीबीसी हर मौके पर स्पष्ट करता आया है कि वह चुनावों को लेकर किसी तरह का सर्वे नहीं करता है और इस बार भी कोई सर्वे नहीं किया गया है.

ख़ास बात ये है कि इस ट्वीट को प्रामाणिकता देने के लिए ट्वीट में बीबीसी न्यूज़ की वेबसाइट के होम पेज का लिंक भी लगाया गया है.

इसके अलावा ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने इस ट्वीट को शेयर किया है.

संयोग की बात है कि ऐसे कई लोगों के नामों के आगे चौकीदार लिखा हुआ पाया गया.

हर साल की तरह बीबीसी ने इस बार भी सोशल मीडिया पर स्पष्ट किया है कि बीबीसी इस तरह के सर्वे नहीं करता है.

बीबीसी हिंदी के संपादक मुकेश शर्मा ने भी फेसबुक पर लिखा है, "अक्सर चुनाव के समय देखा जाता है कि लोग ये दुष्प्रचार करते हैं कि बीबीसी ने 'चुनाव सर्वेक्षण' किया है और फलां पार्टी जीत रही है. एक बार फिर ऐसा दुष्प्रचार हो रहा है. इसमें बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव-2019 को लेकर बीबीसी ने एक सर्वे किया है जबकि बीबीसी ने ऐसा कोई सर्वे नहीं किया. बीबीसी ये स्पष्ट करना चाहता है कि न तो बीबीसी चुनावी सर्वेक्षण कराता है और न ही किसी एक पक्ष की ओर से किए गए 'इलेक्शन सर्वे' को प्रकाशित ही करता है. इससे पहले भी बीबीसी ने उसके नाम पर होने वाले चुनावी सर्वेक्षणों की विश्वसनीयता का खंडन किया है."

"इसके बावजूद कुछ लोग बीबीसी की विश्वसनीयता का फ़ायदा उठाने की फ़िराक़ में रहते हैं. ऐसे मामले पहले भी देखे गए हैं जब राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान बीबीसी के नाम पर ऐसे चुनावी सर्वेक्षण चलाए गए मगर हक़ीक़त ये है कि बीबीसी ने ऐसा कोई सर्वेक्षण नहीं किया है."

इससे पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी ऐसी झूठी ख़बरें वायरल हो चुकी हैं.

Tuesday, April 2, 2019

解放军战机飞越台湾海峡“中线”,中美台三方角力再掀波澜

两架中国解放军战斗机于3月31日飞越台湾海峡“中线”,引起台湾政府强烈抗议,批评中国挑衅,动摇台海和平。中国官媒《环球时报》则以社论回应此次越过“中线”乃严正警吿台独势力,并直接表示,台湾与美国近日的频繁军事互动,中国需给予美台警告。中美台三方的角力关系,以军事交锋,再次掀起波澜。

据台湾国防部日前记者会表示,3月31日台湾海峡上空,有两架中国“歼11战斗机”于当日上午11点飞越台湾海峡中线。台湾空军立刻派出在空中侦巡的IDF“经国号”战机前往拦截,四架F16战机也立即升空。双方对峙10分钟后,中国战斗机返回。

解放军战机飞越台海“中线”
台湾总统蔡英文隔日发文批评中国挑衅,并呼吁北京当局“不要挑衅、不要制造事端、不要破坏台海现状”。

中国官媒《环球时报》社论表示,“中线”只是条“心理线”,维持此“中线”之前提是“两岸关系的政治基础保持不变,台湾也不发生与外部势力超过以往水平的联系和互动。”

美国在台协会(AIT)发言人孟雨荷(Amanda Mansour)在接受台湾官媒《中央社》访问时表示:“北京应该停止强制胁迫手段,恢复与台湾民选政府对话。”

《环球时报》社论强调:“从美国通过《台湾旅行法》以来,美台互动不断以切香肠的方式加码。大陆方面不可能不作出反应,华盛顿太高估了其军事力量对大陆方面的威慑力。”

《环球时报》批评美国军舰今年三次通过台湾海峡之外,还有台湾在印太入群之后,与美国正在交易的军售,都是此次中方越过中线中国回击的严肃警告。

美国对台军售案成熟
蔡英文上周刚结束的台湾太平洋邦交国行程,在旅程尾声于美国领土夏威夷过境,并同时与华府重点智库“传统基金会”(The Heritage Foundation),发表视讯演说。蔡英文证实,台湾政府已向美国提出购买F-16B战斗机以及坦克车之要求,并表示此军购将“大大增强台湾的陆空作战能力,加强军事士气,并向全世界展示美国对台湾防御的承诺。”

此次军购若获美国国会通过,将是1992年美方出售150架F16A、B型战机之后,美国再次出售F16战机给台湾。据军事专家表示,在台湾东部花莲以及西部嘉义基地执勤的F16战机20年来,“链接”美台国防军事合作,在军事及像征意义上有独特地位。

台湾现有主要空中战斗机种,除了F16A、B型战机之外,还有向法国购买的幻象2000(Mirage 2000)美国技术支援台湾生产的“经国号”(F-CK-1)。但法国出售之幻象2000,给台湾仅有对空作战,没有对地作战功能。1997年交机之后,就因为中方压力下,不再卖给台湾,“经国号”也在技术升级中。

然而F16特別受到瞩目,并不只是其能执行多重任务战术,可装备空对空飞弹或炸弹之外,也可以执行地面支援任务。

蔡英文政府向美国提出的66架“F16V”型新型战机,亦是当今世界许多亚洲国家在军事上都十分倚重之新型机种,包含日本、韩国、新加坡以及巴基斯坦都向美购买F16。

亚洲军事研究学者,华府智库“2049研究所”(Project 2049 Institute)研究员纪思安(Ian Easton)接受BBC中文访问解释,F16对台湾是个好战略武器,主要是其可以对于中国近年来军机多次围绕台湾周围领空的挑衅以及窒息性的压迫性战略,有喝止作用。

军事专家,《全球防卫杂志》采访主任陈国铭也告诉BBC中文,F16对台湾的重要性,立基于其功能不在长驱直入敌方内陆,而是先以守为攻的展略,有效将中共战机驱除出台湾海峡。