Friday, May 10, 2019

शत्रुघ्न और रविशंकर के गोद लिए गांव किस हाल में

बिहार के पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के लिए बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद और कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा के बीच मुख्य मुक़ाबला है.

प्रधानमंत्री सांसद आदर्श ग्राम योजना जिसकी शुरुआत मोदी सरकार ने अक्तूबर 2014 में की थी, उसके तहत इन दोनों ही सांसदों ने पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के गांवों को गोद लिया था.

लेकिन इन गांवों की तस्वीर कितनी बदली है, ये वहां जाकर पता चला.

"यहां सैनिटरी पैड यूनिट, एलईडी विनिर्माण केन्द्र, पेपर प्लेट मेकिंग यूनिट, डिजिटल सेवा केन्द्र और रूरल बीपीओ खुला है, उससे अलावलपुर गांव के 20 लोगों को रोज़गार मिला है. जिसमें 18 महिलाएं और 2 पुरुष हैं. इसके अलावा एनआईईएल आईटी का कंप्यूटर साक्षरता केन्द्र भी है जहां छात्र कंप्यूटर सीखते हैं."

लेकिन इन सब केन्द्रों की ज़मीनी तस्वीर बहुत उत्साहित करने वाली नहीं है. हम जब वहां पहुंचे सैनिटरी पैड, पेपर प्लेट मेकिंग, एलईडी विनिर्माण केन्द्र में सन्नाटा पसरा था तो रूरल बीपीओ बिजली की आवाजाही झेल रहा था.

हालांकि रूरल बीपीओ में काम कर रही चांदनी और अलका ने बीबीसी से बातचीत में अपनी ख़ुशी ज़ाहिर की.

सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक कॉल सेंटर एक्जीक्यूटिव के तौर पर काम करने इन लड़कियों को 3,500 रुपये मासिक मिलते हैं.

वो कहती हैं, "हम पढ़ते भी हैं और कमाते भी. हमारा काम प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान के लाभ पाए लोगों का वैरिफ़िकेशन करना है."

अलावलपुर बिहार की राजधानी पटना के फतुहा प्रखंड स्थित गांव है. इसको केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया है.

गांव तक पहुंचने के दो रास्ते हैं. पटना से सटे गौरीचक से अलावलपुर का रास्ता जिसकी सड़क अच्छी स्थिति में है. दूसरा रास्ता फतुहा से भिखुआ मोड़ से अलावलपुर तक का है. ये दूसरा रास्ता हमें 'पुराने' बिहार की याद दिलाता है 'जहां सड़क में गढ्ढे नहीं हुआ करते थे बल्कि गढ्ढों में सड़क' थी.

अलावलपुर पंचायत के मुखिया उपासना सिंह के पति राकेश कुमार सिंह कहते है, "मंत्री जी (रविशंकर प्रसाद) ने यहां 40 से 50 लाख रुपये ख़र्च किए हैं. पूरे गांव में सोलर लाइट लगवाई और सड़क जो जर्जर अवस्था में थी उसे ठीक कराया."

हालांकि गांव घूमने पर सड़क बहुत अच्छी स्थिति में नहीं दिखती. जहां तक सोलर लाइट का मामला है तो दक्षिण पट्टी जहां दलित आबादी की रिहाइश है वहां सोलर लाइट नहीं लगी है.

यहां रहने वाले उमाकांत रविदास कहते हैं, "पूरे गांव में लाइट लगी है लेकिन दक्षिण पट्टी में एक भी लाइट नहीं लगी. मंत्री जी गांव भी आते हैं तो कभी इस पट्टी में नहीं आते."

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