Friday, December 28, 2018

पति-पत्नी बनकर साथ रहती थीं दो लड़कियां, कमरे में मिली लाश

झारखंड के जमशेदपुर जिले में बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है. जहां दो समलैंगिक लड़कियों की संदिग्ध मौत हो गई. उन दोनों के शव एक कमरे में फांसी पर झूलते हुए मिले. बताया जा रहा है कि वे दोनों लड़कियां पति-पत्नी की तरह रहती थीं. एक लड़की की उम्र 21 साल थी. वो पैंट-शर्ट पहना करती थी. जबकि दूसरी लड़की नाबालिग थी.

यह घटना गम्हरिया के जगन्नाथपुर रोड नंबर 8 की है. जहां ओडिशा में मयूरभंज जिले के बारीपदा की निवासी दो लड़कियां अनुज कुमार के घर में किराए पर रहती थीं. दोनों लड़कियों के परिवारों के बीच अच्छे संबंध हैं. लिहाजा दोनों एक साथ रहा करती थी. घटना से एक दिन पहले उन दोनों ने अपने घरवालों से कहा कि वो दोनों हमेशा के लिए एक साथ रहना चाहती है.

उनकी बात सुनकर घरवालों के होश उड़ गए. दोनों के घरवालों ने उन्हें वापस घर लौट आने के लिए कह दिया. इसके बाद उनकी लड़कियों से कोई बात नहीं हुई. जब दोनों ने फोन भी नहीं उठाए तो घरवालों को चिंता होने लगी. दोनों के परिजन ओडिशा से जमशेदपुर आ गए.

इसके बाद वे सभी गम्हरिया के जगन्नाथपुर रोड नंबर 8 पर मौजूद अनुज के मकान पर पहुंचे, जहां दोनों लड़कियां किराए के कमरे में रहती थी. जब वे लोग लड़कियों के कमरे में पहुंचे तो सामने का मंजर देखकर उनके होश फाख्ता हो गए. दरअसल, दोनों की लाशें कमरे में फांसी के फंदे पर लटकी हुई थी.

फौरन इस बात की सूचना पुलिस को दी गई. पुलिस मौके पर पहुंची और कमरे की तलाशी भी ली. लेकिन वहां से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला. इसके बाद दोनों नीचे उतार कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए गए. अब पुलिस इस मामले में छानबीन कर रही है.

रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना की घोषणा 2019-20 के अंतरिम बजट में या फिर शीत सत्र के समापन के बाद की जा सकती है. इसके अलावा पहले चरण में लघु और सीमांत किसान को शामिल किया जा सकता है. बता दें कि देश भर में करीब 9 से 11 करोड़ लघु एवं सीमांत किसान हैं. इससे पहले तेलंगाना की तर्ज पर ओडिशा और झारखंड की सरकारों ने भी रैयत बंधु जैसी योजना लागू करने का एलान कर चुकी हैं.

इन विकल्‍पों पर भी हो रहा विचार!

इसके अलावा भी किसानों को राहत देने के लिए कई विकल्‍पों पर मंथन जारी है. रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार के विभिन्‍न मंत्रालयों और अधिकारियों के बीच छोटे और सीमांत किसानों को मुफ्त में फसल बीमा देने और उधारी योजनाओं में कुछ फेरबदल करने पर भी चर्चा हुई है. बता दें कि वर्तमान में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों से अलग-अगल फसलों के लिए 2 से 5 फीसदी तक की दर से प्रीमियम वसूला जाता है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि किसानों को आय मुहैया कराने की योजना पर सरकारी खजाने पर शुरुआती दौर में करीब 600 से 700 अरब रुपये का बोझ आने का अनुमान है. इस योजना में आने वाली कुल खर्च में केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी कितनी होगी, इस पर विचार हो रहा है.

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