Wednesday, February 27, 2019

आओमोरी शहर में 21 फीट तक बर्फबारी, बर्फ हटाने का खर्च 248 करोड़ रुपए

टोक्यो. जापान का आओमोरी शहर दुनिया के सबसे ज्यादा बर्फीले स्थानों में से एक है। हाल ही में यहां 21 फीट बर्फबारी हुई। इतनी बर्फ दो मंजिला इमारत को ढांकने के लिए काफी है। पिछले साल बर्फ हटाने के लिए सरकार को 35 मिलियन डॉलर (करीब 248 करोड़ रुपए) खर्च करने पड़े। इस शहर में 30 हजार लोग रहते हैं।

सी-इफेक्ट स्नो
हर साल आओमोरी में बर्फीले तूफान आते हैं। नवंबर से शहर में हड्डी कंपा देने वाली साइबेरियाई हवाएं चलने लगती हैं। जैसे ही ठंडी हवा जापान के पहाड़ी तट से गर्म पानी को पार करती है, यह नमी इकट्ठा करती है और बर्फ में बदल जाती है। इसे सामान्य भाषा में सी इफेक्ट स्नो कहा जाता है। नवंबर में ही शहर में 8 फीट तक बर्फबारी हो जाती है।

सी इफेक्ट स्नो के चलते ठंड में आओरी और उसके आसपास के इलाको में बर्फ की मोटी परत जम जाती है। बर्फ की यह मोटी चादर अप्रैल तक होती है। घरों की छतें, सड़कें, शहर के निचले इलाकों में बर्फ ही बर्फ दिखाई देती है।

आओमोरी के बाहरी इलाके में रहने वाली जूलिया मिनातोया कहती हैं कि यहां रहने वाले हर व्यक्ति को हर दिन संघर्ष करना पड़ता है। हालांकि आओरी ठंड के दिनों में यहां परिवहन बंद नहीं होता। इसके चलते बर्फ देखने के लिए यहां भारी तादाद में पर्यटक आते रहते हैं।

एक सी फूड विक्रेता योने नात्सुमे कहते हैं कि आओरी में मछली खासकर कॉडफिश मिलने का सबसे अच्छा सीजन ठंड ही है। लोग यहां आकर मौज करते हैं। अमेरिका से यहां घूमने आए टिम रॉबर्ट्स कहते हैं कि यह जगह दुनिया से अलग इसलिए है क्योंकि यहां पहाड़ों में ज्यादा मोड़ नहीं है।

आओमोरी तक पहुंचना भी मुश्किल नहीं है। टोक्यो से हाईस्पीड ट्रेन से यहां महज तीन घंटे में पहुंचा जा सकता है। यहां का एयरपोर्ट पहाड़ पर बसे एक कस्बे में है। ठंड में ट्रेन से आना ही बेहतर है, क्योंकि बर्फबारी के चलते अक्सर फ्लाइट कैंसिल हो जाती हैं। यहां से बर्फ हटाने के लिए 120 सदस्यीय टीम लगातार काम में जुटी रहती है।

जब आपको फिल्म ऑफर हुई तो आपने क्या सोच कर उसके लिए हामी भरी?
स्नेहा : मेरे पिता किसान हैं। गांव में उनकी वजह से मैं जानी जाती हूं। मेरा सपना है कि लोग मेरी वजह से मेरे पिता को जानें, इसलिए मैं पुलिस में जाना चाहती हूं। बस उसी सपने की वजह से मैंने फिल्म की। कभी नहीं सोचा था कि यह छोटी-सी फिल्म इतना बड़ा अवार्ड जीत लेगी।

अब क्या सपना है, फिल्म लाइन में ही करियर बनाना है या कुछ और करना है?
स्नेहा : मेरा सपना दिल्ली पुलिस में भर्ती होना है। यह सपना मैंने बचपन से देखा है। 2018 में मैंने फिजिकल निकाल लिया था। लेकिन लिखित परीक्षा में कुछ नंबरों से पीछे रह गयी। मैं अभी भी उसकी तैयारी कर रही हूं। हालांकि, अभी कोई वैकेंसी नहीं आई है। यूपी पुलिस की परीक्षा दी है। अब देखें क्या रिजल्ट आता है?

अभी आप अमेरिका में हैं, कैसा अनुभव रहा आपका?
स्नेहा : मैं रेड कारपेट पर चली। मैंने जिंदगी में इतने कैमरे नहीं देखे, जितने यहां देखे हैं। जिस समय ऑस्कर अनाउंस हुआ, उस समय मैं एआर रहमान के साथ बैठी थी। मैं तब चीख पड़ी थी। रहमान साहब ने मेरा फोटो अपने मोबाइल में खींचा और मेरे साथ सेल्फी भी ली। जो लड़की हापुड़ से दिल्ली तक नहीं गई, उसके लिए यह गौरवान्वित करने वाला पल था।

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